न्यूटन विचार परिक्षण : तोप का गोला

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न्यूटन का तोप का गोला एक विचार प्रयोग है, जिसे, आइज़ैक न्यूटन, की गुरुत्वाकर्षण-का-बल-सार्वभौमिक होता है, वाली परिकल्पना को आधार बनाता है। यहां स्मरण में ये रखना आवयश्क है की,ब्रह्माण्ड के ग्रहों की गति के लिए,यह बल प्रमुख माना जा सकता है। इस वैचारिक परिक्षण का उल्लेख,सर आइज़ैक न्यूटन के मरणोपरांत प्रकाशित,1728 के दे मुंडी सिस्टमेट में मिलता है (यह भी अंग्रेजी में ए ट्रीटिस ऑफ द सिस्टम ऑफ द वर्ल्ड के रूप में प्रकाशित हुआ)।

प्रयोग का स्रोत

इस वैचारिक प्रयोग में A,B,C,D,और E, वह पथ हैं, जिस पर, इस मानसिक प्रयोग में, पृथ्वी पर स्थित एक ऊँचे स्थान से क्षितिज के समांतर दिशा में प्रीपेक्षित गोले उड़ान लेंग। यहाँ ये ध्यान रखना होगा की यदि, इन गोलों का गंतव्य स्थान, परिपेक्षित गति के परिमाण पर इस लिये निर्भर करेगा, क्यों की उड़ते हुए गोलों पर परिपेक्षित गति के क्षैतिज घटक और गुरुत्वाकर्षण का असर हो रहा होता है।  

फिलोसोफी नेचुरलिस प्रिन्सिपिया मैथेमेटिका, के लिए न्यूटन की मूल योजना यह थी, कि इसमें दो पुस्तकें होनी चाहिए, पहली गति के बुनियादी नियमों का विश्लेषण करने वाली ,और दूसरी उन नियमों का, सौर मंडल की संरचना में अवलोकन को संश्लेषित करती थी । मीडिया का प्रतिरोध करने में गति पर अधिक सामग्री शामिल करने के लिए, पहली पुस्तक को दो भागों में विभाजित किया गया था; बाद की (अब तीसरी) पुस्तक, जो मूल रूप से एक अधिक लोकप्रिय शैली में लिखी गई थी, को अधिक गणितीय होने के लिए फिर से लिखा गया था। [3] [4] हालाँकि, इस अंतिम पुस्तक के पहले के मसौदे की पांडुलिपियाँ बच गईं, और इसका एक संस्करण 1728 में डे मुंडी व्यवस्थित के रूप में प्रकाशित हुआ; एक अंग्रेजी अनुवाद भी पहले 1728 में ए ट्रिटीज़ ऑफ़ द सिस्टम ऑफ़ द वर्ल्ड के नाम से प्रकाशित हुआ था। [1] [2] [4] विचार प्रयोग इस कार्य के प्रारंभ के निकट होता है।