वोल्टेज सैग : विद्युतीय दवाब में शिथिलता

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110 वी और 60 हर्ट्ज . की तुलना में 230 वी और 50 हर्ट्ज की तरंग

एक विद्युत शक्ति वितरण प्रणाली, के ऊर्जा वान बने रहने के मुख्य कारकों में से एक ,विद्युतीय दबाव (वोल्टेज) (इसके अतरिक्त : विद्युतीय : प्रवाह (करंट) व आवृति (फ्रीक्वेंसी)) में शिथिलता या गिरावट [1], एक लघु अवधि की स्थिति है। इस अवस्था की उपज,विद्युतीय प्रणाली में ,उच्च मांग वाली मशीनों (जैसे ट्रांसफार्मर,मोटर,हीटर,पावर सप्लाई ) के जीवंत होने के दौरान,आकस्मिक रूप से,तेजी से अन्दर आने वाले प्रवाह (इन रश करंट) के स्थापन से सम्बन्ध रखती है । यह स्थिति संपूर्ण प्रणाली के लिये बोझ साबित हो सकती है । ऐसा इस लिये होता है क्यों की , उच्च विद्युतीय प्रवाह की मांग के कारण , पर कहीं और फॉल्ट करंट (ओवरलोड या शॉर्ट सर्किट), होने की संभावना बढ़ जाती है ।

वोल्टेज में शिथिलता को उनके परिमाण या गहराई, और अवधि द्वारा परिभाषित किया जाता है। [2] एक वोल्टेज शिथिलता तब होती है , जब वर्ग माध्य मूल (रुट मीन स्क्वायर :आर एम एस) वोल्टेज [1], एक-आधे चक्र से एक मिनट के लिए, नाम मात्र के वोल्टेज के 10 से 90 प्रतिशत के बीच घट जाता है।[3] [4] कुछ संदर्भ आधे चक्र से कुछ सेकंड तक की अवधि के लिए शिथिलता की अवधि को परिभाषित करते हैं,[5][6] और कम वोल्टेज की लंबी अवधि को "सतत शिथिलता" कहा जाएगा।[5]

साइन वेव वोल्टेज :आरएमएस, पीक, और पीक-टू-पीक चिह्नित के साथ साइन वेव वोल्टेज बनाम समय (कोण की डिग्री में) का ग्राफ़

वोल्टेज शिथिलता की परिभाषा आई ई ई ई 1159, 3.1.73 में पाई जा सकती है "बिजली आवृत्ति के 0.5 चक्र से अधिक, लेकिन 1 मिनट से कम या उसके बराबर समय के लिए नाममात्र वोल्टेज से वोल्टेज के आर.एम. एस मूल्य, की भिन्नता। आमतौर पर आगे एक वोल्टेज भिन्नता (जैसे शिथिलता, प्रफुल्लित, या रुकावट) के परिमाण को इंगित करने वाले संशोधक का उपयोग करके और संभवतः भिन्नता की अवधि (जैसे, तात्कालिक, क्षणिक या अस्थायी) को इंगित करने वाला एक संशोधक का उपयोग करके वर्णित किया गया है।" [6]

संबंधित अवधारणाएं

कैपेसिटर बैंक शक्ति-संचार के दौरान प्रवाह की क्षणिकता , का एक उदाहरण

शब्द "सैग " को "ब्राउनआउट" के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए, जो कि क्षणिक न हो कर , मिनटों या घंटों के लिए वोल्टेज की कमी की अवस्था है।[7]

शब्द "क्षणिक", जिसे कि बिजली की गुणवत्ता में प्रयोग किया गया है । यहाँ ये शब्द और यह शिथिलता, प्रफुल्लित वोल्टेज अवस्था, ड्रॉपआउट आदि को संदर्भित कर सकता है।[8]

वृद्धि

यह भी देखें: वोल्टेज वृद्धि

प्रफुल्लित वोल्टेज अवस्था (सर्ज वोल्टेज) , वोल्टेज शिथिलता के विपरीत वाली स्थिति है। वोल्टेज की असामान्य वृद्धि, जो अधिकतर क्षणिक अवस्था है , तब होती है ,जब बिजली व्यवस्था में भारी भार,आकस्मिक रूप से बंद हो जाता है।

आधुनिक विश्व में विद्युतीय व्यवस्था में शिथिलता अथवा वृद्धि ,एक आपदा के रूप में देखी जाती है । उदहारण स्वरुप,विद्युतीय व्यवस्था पर निर्भर , रैपिड मास ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम , शिथिलता अथवा वृद्धि आने पर नगरीय व्यवस्था को पंगु कर सकते हैं । भारत में मुंबई नगर क्षेत्र में विद्युतीय बाधा [9], आने पर घोर अव्यवस्था फैल जाने का खतरा रहता है ।

कारण

कई कारक वोल्टेज शिथिलता का कारण बन सकते हैं:

  •    कुछ इलेक्ट्रिक मोटर अपनी निर्धारित क्षमता गति से चलने की तुलना में शुरू होने पर बहुत अधिक धारा (करंट) खींचते हैं। [3][10]
  •    जब तक सुरक्षात्मक स्विचगियर (फ्यूज या सर्किट ब्रेकर) संचालित नहीं हो जाता, तब तक लाइन-टू-ग्राउंड दोष वोल्टेज में कमी का कारण बनेगा।[3][10]
  •    बिजली लाइनों में कुछ दुर्घटनाएं जैसे बिजली या गिरती हुई वस्तु लाइन-टू-ग्राउंड फॉल्ट का कारण बन सकती है।[10]
  •    विद्युतीय भार (लोड) में आये आकस्मिक परिवर्तन या अत्यधिक भार[10]
  •    ट्रांसफॉर्मर कनेक्शन के आधार पर, ट्रांसफॉर्मर को सक्रिय करने के दौरान [11]
  •    वोल्टेज सैग बिजली उपयोगिता से आ सकते हैं, लेकिन अधिकांश स्थानीय इन-बिल्डिंग उपकरण के कारण होते हैं। आवासीय घरों में, कभी-कभी रेफ्रिजरेटर, एयर-कंडीशनर या फर्नेस पंखे शुरू होने पर वोल्टेज में कमी देखी जाती है।

दोष के कारण शिथिलता के परिमाण को प्रभावित करने वाले कारक:

  •    पीड़ित और गलती स्रोत के बीच की दूरी [3]
  •    दोष प्रतिबाधा [3]
  •    दोष का प्रकार [3]
  •    शिथिलता से पहले वोल्टेज की अवस्था [3]
  •   प्रणाली विन्यास (सिस्टम कॉन्फ़िगरेशन), उदाहरण के लिये सिस्टम प्रतिबाधा और ट्रांसफार्मर कनेक्शन [3]

यह सभी देखें

  •    लो वोल्टेज राइड थ्रू (LVRT)
  •    आपूर्ति वोल्टेज शिथिलता
  •    वोल्टेज स्पाइक - विद्युत सर्किट में लघु अवधि वोल्टेज क्षणिक

सन्दर्भ

  1. "IEEE 493-2007 - IEEE Recommended Practice for the Design of Reliable Industrial and Commercial Power Systems"". The IEEE Standards Association. 2018-01-09.
  2. शिवरामन, पी.; शर्मीला, सी. (2021). "1". Power Quality in Modern Power Systems. कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स, संयुक्त राज्य अमेरिका: अकादमिक प्रेस. pp. 1–60. ISBN 978-0-12-823346-7.
  3. 3.0 3.1 3.2 3.3 3.4 3.5 3.6 3.7 बोलेन, मैथ एच.जे. (1999). Solving power quality problems: voltage sags and interruptions. न्यूयॉर्क (यू इस ऐ ) संयुक्त राज्य अमेरिका: आईईईई प्रेस. p. 139. ISBN 978-0-7803-4713-7.
  4. "ServoMax Power Conditioner".
  5. विजयराघवन, जी,; ब्राउन, मार्क; बार्न्स, मैल्कम (2004). Practical grounding, bonding, shielding and surge protection (in पुस्तक अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध है). ऑक्सफोर्ड: न्यूनेस. p. 134. ISBN 978-0-08-048018-3.{{cite book}}: CS1 maint: extra punctuation (link) CS1 maint: unrecognized language (link)
  6. पटेल, देबासिस; गोस्वामी, अरूप कुमार; सिंह, संतोष कुमार (2015). "Voltage sag mitigation in an Indian distribution system using dynamic voltage restorer". International Journal of Electrical Power & Energy Systems 71.
  7. स्टैंडलर, रोनाल्ड बी (1989). Protection of electronic circuits from overvoltages (in पुस्तक अंग्रेजी में है). न्यूयॉर्क: विली. p. 40. ISBN 9780471611219.{{cite book}}: CS1 maint: unrecognized language (link)
  8. वेदम, आर शास्त्री; सरमा, मुलुकुटला एस. (2008). Power Quality: VAR Compensation in Power Systems (in पुस्तक अंग्रेजी में है). सी आर सी प्रेस. pp. 4–5, 23. ISBN 978-1-4200-6482-7.{{cite book}}: CS1 maint: unrecognized language (link)
  9. "List of Major Power Failures".
  10. 10.0 10.1 10.2 10.3 काज़िब्वे, विल्सन ई; सेंडौला, मुसोके एच (1993). Electric power quality control techniques. न्यूयॉर्क: वैन नोस्ट्रैंड रेनहोल्ड. ISBN 978-0-442-01093-5.
  11. टेओडोरस्कु; ;, रेमुस; लिसेरे, मार्को; रोड्रिगेज, पेड्रो (2011). Grid Converters for Photovoltaic and Wind Power Systems. विले-आईईईई प्रेस. ISBN 978-1-119-95720-1.{{cite book}}: CS1 maint: extra punctuation (link) CS1 maint: multiple names: authors list (link)