वर्नर का सिद्धांत
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वर्नर पहले वैज्ञानिक थे जिन्हें अकार्बनिक रसायन विज्ञान में नोबल पुरस्कार मिला था। इस सिद्धांत और अगले 20 वर्षों में उनके श्रमसाध्य कार्य ने 1913 में अल्फ्रेड वर्नर को रसायन विज्ञान के लिए नोबल पुरस्कार जीता। वर्नर उपसहसंयोजक संकुल में बंध की प्रकृति की व्याख्या करने में सक्षम थे और उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि संकुल में धातु दो अलग-अलग संयोजकता दर्शाती है। वर्नर के अनुसार उपसहसंयोजन यौगिकों में दो प्रकार की संयोजकता होती है।
- प्राथमिक संयोजकता
- द्वितीयक संयोजकता
प्राथमिक संयोजकता
प्राथमिक संयोजकता आयनीकरणीय और अदिशात्मक होती है।