सुरक्षित ग्रहण अवलोकन

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एक खगोलीय पिंड,का दूसरे द्वारा कुल या आंशिक रूप से, अस्पष्ट होने की अवस्था,उस पिंड का ग्रसित होना अथवा ग्रहण के अवस्था में होना कहलाता है। यह अवस्था साधारण अवस्था से विपरीत की होती है , जहाँ स्वयंऊर्जा से प्रकाशित पिंड (जैसे की सूर्य) अथवा अप्रत्यक्ष रूप से प्रकाशित आकाशीय वस्तु (जैसे की चंद्रमाँ अथवा हमारे सौर्य मंडल के कुछ दूरगामी ग्रह)